जब तेरी दहलीज की शोभा बन आये गुलजार जिंदगी हुई हम खुद पे इतराय। जब तेरी दहलीज की शोभा बन आये गुलजार जिंदगी हुई हम खुद पे इतराय।
श्रम करके अपने बल पर दो वक्त की रोटी पाना चाह रहा हूं। श्रम करके अपने बल पर दो वक्त की रोटी पाना चाह रहा हूं।
नव पंथ बनाएं परमार्थ में, निंदा-स्तुति पर न दें कभी ध्यान। नव पंथ बनाएं परमार्थ में, निंदा-स्तुति पर न दें कभी ध्यान।
सपनों को सजाने लगी ले उमंगों का महावर सपनों को सजाने लगी ले उमंगों का महावर
कोषद्वार दिये खोल धरा ने कृषक मन हर्षाया लहलहाती फसल देख वो स्वप्न लोक हो आया कोषद्वार दिये खोल धरा ने कृषक मन हर्षाया लहलहाती फसल देख वो स्वप्न लोक ...